राजा का सम्मान अपने देश में हीं होता है, पर विद्वान का सम्मान विदेश में भी होता है।
यह वाणी चाणक्य के द्वारा कहे गए हैं और चाणक्य के अनुसार मनुष्य शिक्षा के बिना पशु के समान है।
तो आइए आज कि हम इस वीडियो में जानेंगे चाणक्य के विद्या के प्रति उनकी नीतियों के बारे में, जो आपको भी पढाई करने के लिए motivate करेगा।
तो चलिए शुरू करते हैं
एक पूरी ज़िन्दगी में विद्यार्थी जीवन सबसे अनमोल होता है। यदि इस समय में मेहनत नहीं की जाती तो पूरा जीवन ही नष्ट हो जाता है। जीवन में सुख का आधार विद्यार्थी जीवन में ही निर्मित होता है।
चाणक्य कहते हैं कि जो छात्र विद्या को पूजता है, उसके ज्ञान को पूरी दुनिया सम्मान देती है।
चाणक्य ने एक विद्यार्थी को कुछ वस्तुओं में समय न लगाने की सलाह दी है।
काम – इन प्रकार के विचारों पर एक छात्र को ध्यान नहीं लगाना चाहिए, क्योंकी ऐसे विचार छात्र के मन को भटकाते हैं।
क्रोध – क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इसके कारण व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है।
लालच – सभी छात्रों को किसी भी प्रकार की लालच नहीं करनी चाहिए।
श्रंगार – एक पढ़ने वाले छात्र को साज-श्रंगार पर अपना ध्यान और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
स्वाद – स्वाद पर ध्यान ना देकर छात्र को स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा संतुलित आहार ही खाना चाहिए।
यदि मनुष्य सुख चाहता है तो उसे विद्या छोड़ देनी चाहिए और यदि विद्या पाना चाहता है तो उसे सुख की तलाश छोड़ देनी चाहिए, क्योंकी स्वार्थी को विद्या कहां और विद्यार्थी को सुख कहा।
आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है । विद्याहिना लोगो के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है । कम बीज से खेत तथा बिना सेनापति वाली सेना नष्ट हो जाती है ।
जिन लोगों के पास न विद्या है, न तप है, न दान है, न गुण है और न ही धर्म है, वह इस पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में पशु के समान हैं।
कोयल की शोभा स्वर है, स्त्रियों की शोभा पवित्रता है और मनुष्य की शोभा विद्या है।
रूप यौवन से संपन्न तथा विशाल कुल में जन्म लेने पर भी विद्याहिन मनुष्य, उसी प्रकार नहीं सोभते जिस प्रकार पलाश के फूल गंधहीन होने के कारण नहीं सोभते।
एक विद्या युक्त सज्जन सुपुत्र से कुल प्रकाशित हो जाता है, उसी प्रकार एक चंद्रमा से ही रात प्रकाशित हो जाती है।
राजा का समान अपने ही देश में होता है, पर विद्वान का सम्मान विदेश में भी होता है।
विद्वान की हर स्थान पर पूजा होती है और शिक्षक कोई भी हो उसका सम्मान हर स्थान पर होती है।
परंतु अनपढ़ भले ही कितना धनवान क्यों न हो, शिक्षित के सामने वह छोटा ही नजर आता है।
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तो मैं मिलता हूं एक नई पोस्ट में नई मोटिवेशन के साथ तब तक खुश रहिए खुशियां बांटते रहिए।
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